30 Jul 2014

पृथ्वी

      
         विश्वाच्या या अवाढव्य पसार्यात एक पृथ्वी आहे, एक चंद्र आहे. हजारो वर्ष ते एकमेकांशी परिचित आहेत. इतक्या ओळखीनंतरही आपल्याला चंद्राबद्दल काय वाटतं, ते पृथ्वीला कळलेलं नाही, तर मी तरी तुझ्या प्रश्नाचं उत्तर कसं रे देणार ? मला एकच माहित आहे. आजतागायत चंद्र कधी पृथ्वीच्या कक्षेत आलेला नाही, किंवा त्याच्या ओढीने ती चंद्राला भेटायला गेलेली नाही. तप्त सूर्याभोवती फिरत राहणं हेच तीच नशीब ………!
                                                   
                                                                     - सुहास शिरवळकर

21 May 2014

प्रेम म्हणजे





प्रेम म्हणजे सुंदर पहाट
कधीही न हरवणारी जीवनाची वाट.
आयुष्याला पडलेलं गोडस्वप्नं
सगळी उत्तरं सापडणारा मजेशीरप्रश्न............


चारोळ्या



तुझ्या आठवणीत मी जगतो,
असं मी कधीच म्हणणार नाही.
कारण आठवण्यासाठी मुळात,
मी तुला कधी विसरतच नाही......................

चारोळ्या

 



आता तो खिडकीबाहेरचा चंद्र ही
मला सतावु लागलाय
वळुन वळुन पुन्हा आठवणी
दाखवु लागलाय......................





 

मीच का नेहमी तुझ्या
आठवणींचा भार घ्यावा...
ह्रदयातील वेदनांना तूझा
कधी आधार व्हावा...……

शायरी

मोहब्बत का सफर लंबा हुआ
तो क्या हुआ, थोड़ा तुम चलो
थोड़ा हम चले, थोड़ा तुम चलो
थोड़ा हम चले, फिर रिक्शा कर लेंगे..........


तुम्हे जब देखा हमने तो यह ख्याल आया
बड़ी जल्दी में रब था जब तुमको बनाया
तुम्हे जब देखा रब ने तो वो भी घबराया
बनाना क्या था मुझको है मैंने क्या बनाया.......


क्या सुनाएँ हम आपको दास्ताँ-ए-गम
अर्ज किया है
क्या सुनाएँ हम आपको दास्ताँ-ए-गम
जब से आप मिले हो परेशान हो गए हैं हम..............


खुदा के घर से कुछ गधे फरार हो गए
कुछ तो पकडे गए, और कुछ हमारे यार हो गए..……. 


अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में
बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में
हम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने को
वर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में..........


तेरी दोस्ती में खुद को महफ़ूज मानते है
हम दोस्तों में तुम्हें सबसे अज़ीज मानते है
तेरी दोस्ती के साये में ज़िंदा है
हम तो तुझे खुदा का दिया हुआ तावीज मानते है............


सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा.................


     

शेरो शायरी

खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते
लोग कहते है हम मुश्कुराते बहोत है ,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते............


खुदा सें कोई बात अन्जान नही होती.
इन्सान की बंदगी बेईमान नही होती
कभी तो माँगा होगा हमने एक प्यारा सा रिश्ता.
वर्ना यूँ ही आपसे पहचान नही होती...........


नजर चाहती है दीदार करना
दिल चाहता है प्यार करना
क्या बताऊँ इस दिल का आलम
नसीब में लिखा है इंतज़ार करना.......................


खुले आसमाँ में जमीं की बात ना करो,
जी लो जिन्दगी खुशी की आस ना करो,
तकदीर बदल जाऐगी अपने आप ही,
मुस्कुराना सीख लो, वजह की तलाश ना करो............


सफर में मुश्किलें आऐ, तो हिम्मत और बढ़ती है,
कोई अगर रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है,
अगर बिकने पे आ जाओ, तो घट जाते है दाम अक्सर
ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है………. 



शेरो शायरी

रोने से किसी को पाया नहीं जाया ,
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता ,
वक्त सबको मिलता है जिन्दगी बदलने के लिए
पर जिन्दगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए ................


मुझे इन पत्थरों का डर ना होता
अगर शीशे का मेरा घर ना होता
यकीकन हम भी खेलते प्यार की बाज़ी
अगर दिल टूटने का डर ना होता.........……. 


उनकी महफ़िल में एक उनके सिवा
मुझको हर इक ने ग़ौर से देखा…
आज क्यों पूछते हो हाल मेरा
आपने कल कुछ और से देखा….
मुझपे उठ्ठी निगह ज़माने की 

आपने जब भी ग़ौर से देखा…..……………

ज़िंदगी हमने सुना था चार दिन का खेल है..
चार दिन अपने तो लेकिन इम्तिहाँ मे खो गए………… 


बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की,
कोई किसी को टूट कर चाहता है, 

और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है…………

तुम्हारी यादों में बीती हर बात अलग है
तुम्हारे साथ हुई हर मुलाकात अलग है
हर शख़्स मेरी ज़िन्दगी छूकर गया 

मगर तुम्हारी दोसती की बात अलग है…………


शेरो शायरी

बादलों के बीच कैसी साजिश हुई
मेरा घर था मिटटी का
मेरे ही घर बारिश हुई
जिद है अगर उन्हें बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी जिद है अपना आशियाना वहीँ बनाने की.....


 शाम उतरी ज़िन्दगी गाने लगी
मौत को फिर नींद आने लगी
फिर किसी की याद का दीपक जला
और अँधेरी रात मुस्कुराने लगी ............


बिल्डिंगों की भीड़ में गुम हो गई है बस्तियां,
अब कहाँ सावन के झूले,अब कहाँ वो मस्तियाँ..........


तुमसा कोई दूसरा ज़मीं पर हुआ,
तो रब से शिकायत होगी,
एक तो झेला नही जाता,
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी ..........


कहते हैं कि इश्क में नींद उड़ जाती है,
कोई हमसे भी इश्क करे,
कमबख्त नींद बहुत आती है.............





 

11 Apr 2014

बालपण

कागदाची नाव होती,
पाण्याचा किनारा होता,
खेळण्याची मस्ती होती ,
मित्रांचा सहवास होता, मन हे वेडे होते ,
कल्पनेच्या दुनियेत जगात होते,
कुठे आलो आपण या समजूतदारीच्या जगात ,
यापेक्षा ते भोले बालपणच "सुंदर"होते ......

कृष्ण आणि सुदामा


 


सुदामा म्हणाला कृष्णाला, कान्हा तुझे माझे नाते काय़?
किती फ्रेंडशिप डे आले गेले...तुला सांगायला होते काय ?.


तेंव्हा कृष्ण उत्तरला,सुदामा तु म्हणजे मी;
मी म्हणजे तु. त्याचा एव्हढा गवगवा कशाला ?
तुझ्या माझ्या मैत्री ला फ्रेंडशिप डॆ हवा कशाला ? ...

शेरो शायरी

दिल की हसरत मेरी जुबान पर आने लगी
तुने देखा और ये जिंदगी मुस्कुराने लगी
ये इश्क कि इन्तेहा थी या दिवानगी मेरी
हर सुरत में तेरी सुरत नजर आने लगी ………………

प्यार कि वारदात होने दो
कुछ तो ऐसे हालात होने दो
लफ़्ज अगर बात नही कर सकते
तो आंखो कि आंखो में बात होने दो …………………

आंखो मे आ जाते है आंसू
फिर भी लबो पे हंसी रखणी पडती है
ये मोहब्बत भी क्या चीज है यारो
जिससे करते है उसीसे चुपानी पडती है ……………

दर्द जितना सहा जाये उतना हि सहेना
किसी के दिल को लाग जाये वो बात न कहना
मिलते है हमारे जैसे लोग बहुत कम
इसलिये हमसे कभी अलविदा न कहना …………………

19 Mar 2014

इश्क



इश्क के खयाल बहोत है ……
इश्क के चर्चे बहोत है ………
सोचते है हम भी कर ले इश्क ……
पर सुना है इश्क में खर्चे बहोत है …….

17 Feb 2014

ती


             ज्या अनेक बेभान करणार्या गोष्टी आजूबाजूला होत्या त्या सगळ्यांचा विसर पडावा इतकी ती सुंदर होती. नजर फिरून फिरून तिच्या कडेच वळत होती, तिची माझी ओळख नव्हती,पण हातांच्या हालचालीने होणार्या बांगड्याच्या आवाजानं…………. त्याचं एका नादाची ओढ लागली होती. अवघं आसमंत तिने व्यापून टाकलं होत, माझ्या सकट सगळ विश्व तिच्यासमोर गहाण पडलं होत. काळ्या सावल्या ढगांकडे पहावं कि तिचे नेत्र पाहावेत, पावसाळी गूढ हवा पहावी कि तिचं गूढ अनामिक व्यक्तिमत्त्व पहावं, हिरव्यागार शालू नेसलेल्या जमिनीकडे पहावं कि तिच्या शितल वाहणार्या अस्तित्वान बेभान व्हावं……………छे …!………. आज सगळीच उत्तर हरवली होती.
 

कृष्ण-लीला


श्रीकृष्णाने राधेला विचारले :-
" अशी एक गोष्ट संग ज्यात मी नाही ……!"

राधा म्हणाली :- " माझ्या नशिबात ……. "

पुढे राधा म्हणाली :-
" आपला विवाह का नाही झाला ? "

 श्रीकृष्ण नेहमीप्रमाणे गोड हसून म्हणाले :-
" विवाहासाठी दोन माणसांची गरज असते…,
पण आपण तर एकचं आहोत ……. "


15 Feb 2014

शायरी

कब साथ निभाते है लोग
आंसू कि तरह बिछड जाते है लोग
वो जमाना और था लोग रोते थे गैरो के लिये
आज तो अपनोको रुलाकर मुस्कुराते है लोग ………………


बिना दर्द के आंसू बहाये नही जाते
बिना प्यार के रिश्ते निभाये नही जाते
जिंदगी में  एक बात याद रखना
किसी को रुलाकर अपने सपने सजाये नही जाते………………



8 Jan 2014

शायरी

गुनाह करके सजा से डरते है,
जहर पीके दवा से डरते है ,
दुश्मनो कें सितम का खौफ नही,
हम तो दोस्तो कि बेवफाई से डरते………………


बस इक बात से डर लगता है दोस्तो,
हम अजनबी न बन जाए दोस्तो,
जिंदगी के रंगोमे दोस्ती का रंग फिका न पड जाए,
कही ऐसा न हो दुसरे रिश्तोंकी भीड में दोस्ती दम न तोड जाऐ………………