21 May 2014

शायरी

मोहब्बत का सफर लंबा हुआ
तो क्या हुआ, थोड़ा तुम चलो
थोड़ा हम चले, थोड़ा तुम चलो
थोड़ा हम चले, फिर रिक्शा कर लेंगे..........


तुम्हे जब देखा हमने तो यह ख्याल आया
बड़ी जल्दी में रब था जब तुमको बनाया
तुम्हे जब देखा रब ने तो वो भी घबराया
बनाना क्या था मुझको है मैंने क्या बनाया.......


क्या सुनाएँ हम आपको दास्ताँ-ए-गम
अर्ज किया है
क्या सुनाएँ हम आपको दास्ताँ-ए-गम
जब से आप मिले हो परेशान हो गए हैं हम..............


खुदा के घर से कुछ गधे फरार हो गए
कुछ तो पकडे गए, और कुछ हमारे यार हो गए..……. 


अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में
बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में
हम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने को
वर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में..........


तेरी दोस्ती में खुद को महफ़ूज मानते है
हम दोस्तों में तुम्हें सबसे अज़ीज मानते है
तेरी दोस्ती के साये में ज़िंदा है
हम तो तुझे खुदा का दिया हुआ तावीज मानते है............


सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा.................


     

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