21 May 2014

शेरो शायरी

रोने से किसी को पाया नहीं जाया ,
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता ,
वक्त सबको मिलता है जिन्दगी बदलने के लिए
पर जिन्दगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए ................


मुझे इन पत्थरों का डर ना होता
अगर शीशे का मेरा घर ना होता
यकीकन हम भी खेलते प्यार की बाज़ी
अगर दिल टूटने का डर ना होता.........……. 


उनकी महफ़िल में एक उनके सिवा
मुझको हर इक ने ग़ौर से देखा…
आज क्यों पूछते हो हाल मेरा
आपने कल कुछ और से देखा….
मुझपे उठ्ठी निगह ज़माने की 

आपने जब भी ग़ौर से देखा…..……………

ज़िंदगी हमने सुना था चार दिन का खेल है..
चार दिन अपने तो लेकिन इम्तिहाँ मे खो गए………… 


बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की,
कोई किसी को टूट कर चाहता है, 

और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है…………

तुम्हारी यादों में बीती हर बात अलग है
तुम्हारे साथ हुई हर मुलाकात अलग है
हर शख़्स मेरी ज़िन्दगी छूकर गया 

मगर तुम्हारी दोसती की बात अलग है…………


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